Class 7 Sanskrit Chapter 8 Translation in Hindi || त्रिवर्णः ध्वजः ||
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः
(केचन बालकाः काश्चन बालिकाश्व स्वतन्त्रतादिवसस्य ध्वजारोहणसमारोहे सोत्साहं गच्छन्तः परस्पर संलपन्ति।)
देवेशः – अद्य स्वतन्त्रता-दिवसः। अस्माकं विद्यालयस्य प्राचार्यः ध्वजारोहणं करिष्यति छात्राश्च सांस्कृतिककार्यक्रमान् प्रस्तोष्यन्ति। अन्ते च मोदकानि मिलिष्यन्ति।
डेविडः – शुचे ! जानासि त्वम् ? अस्माकं ध्वजस्य किं नाम ?
शुचिः – अरे ! कः एतादृशः भारतीयः यः अस्य ध्वजस्य विषये न जानाति ? अस्माकं देशस्य ध्वजः त्रिवर्णः इति।
शब्दार्था:-
केचन बालकाः = कुछ बालक ।
काश्चन बालिकाः = कुछ बालिकाएँ।
सोत्साहम् = उत्साहपूर्वक।
गच्छन्तः = जाते हुए।
परस्परम् = आपस में। संलपन्ति । वार्तालाप करते हैं, करती हैं।
छात्राः = छात्र-छात्राएँ।
प्रस्तोष्यन्ति = प्रस्तुत करेंगे, करेंगी।
मोदकानि = लड्डू।
मिलिष्यन्ति = मिलेंगे।
जानासि = (तुम) जानती हो, जानते हो।
त्रिवर्णः = तीन रंगों वाला।
सरलार्थ:- (कुछ बालक और कुछ बालिकाएँ स्वतंत्रता दिवस के ध्वजारोहण के समारोह में उत्साहपूर्वक जाते हुए आपस में वार्तालाप करते हैं।
देवेश – आज स्वतंत्रता दिवस है। हमारे विद्यालय के प्राचार्य ध्वजारोहण करेंगे। और छात्र, छात्राएँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करेंगे। और अन्त में लड्डू मिलेंगे।
डेविड – शुचि, क्या तुम जानती हो ? हमारे झण्डे का क्या नाम है?
शुचि – अरे कौन ऐसा भारतीय है जो इस ध्वज के विषय में नहीं जानता ? हमारे देश का झंडा तिरंगा (तीन रंगों वाला) है।
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः 9
सलीमः – रुचे ! अस्य नाम त्रिवर्णः कथम् ?
रुचिः – अस्मिन् ध्वजे त्रयः वर्णाः सनित, अत: त्रिवर्णः। किं त्वम् एतेषां वर्णानां नामानि जानासि ?
सलीमः – अरे ! केशरवर्णः, श्वेतः, हरितः च एते त्रयः वर्णाः।
शब्दार्था:-
जानासि = जानते हो ।
त्रिवर्णः = तिरंगा, तीन रंगों वाला।
केशरवणः = केसरी रंग।
सरलार्थ: सलीम – रुचि इसका नाम तिरंगा क्यों है? रुचि – इस झंडे में तीन रंग हैं, इसीलिए यह तिरंगा है। क्या तुम इन रंगों के नाम जानते
सलीम – अरे ! केसरी, सफ़ेद और हरा ये तीन रंग
देवेश: – अस्माकं बजे एते त्रयः एव वर्णा कथं गृहीताः ?
सलीमः – एतेषां त्रयाणां वर्णानाम् अत्र विशेष: अभिप्रायः।
देवेशः – कः विशेष: ?
सलीमः – शण, केशरवर्णः शौर्यस्य, श्वेतः शान्ते:, हरितश्च समद्धेः सूचकाः सन्ति । स्वयं च अयं ध्वजः अनेकत्वे एकत्वस्य द्योतकः।
शब्दार्था:-
गृहीताः = ग्रहण किए गए हैं, लिए गए हैं।
अभिप्रायः = प्रयोजन, मतलबा
शणु = सुनो। शीर्थस्यवीरता का के/की।
अनेकवे एकत्वस्य = अनेकता में एकता का।
द्योतक = सूचक प्रतीक। ।
सरलार्थ:- इमारे अंडे में ये तीन रंग ही क्यों लिए गए
सलीम – इन तीनों रंगों का यहाँ विशेष प्रयोजन है।
देतेश – कौन-सा विष (प्रयोजन)
सलीम – सुनो, केसरी रंग शक्ति का, सफेद रंग
शान्ति का तथा हरा रंग समृद्धि का सूचक है। स्व यह ध्वज अनेकता में एकता का प्रतीक है।
शुचिः – किम् एतासां पट्टिकानाम् अन्यदपि
महत्त्वम डेविडः – आम् । कर्थन ।
ध्वजाय उपरि स्थिता
के शरपद् टिका अग्निशिखा इव ऊर्जस्वितायाः उत्साहस्य च सूचिका। मध्ये चिता श्वेतपद् टिका सात्विकतायाः निर्मलतायाः च घोतिका। अधः स्थिता हरितपटिका
समले प्रगतश्च सहकेतिका।
शब्दार्था:-
अग्निशिखाः इस = आग की लपटों की तरह।
उपरिस्थिता – कपर स्थित, ऊपर वाली करियतायाः – ऊना की।
मध्ये स्विता – बीच में स्थित, बीच वाली।
अधः स्थिता – नीचे स्थित, नौने बाली।
होशिका – सूचक। सङ्केतिका सूचक।
सालार्थ: शुधि – क्या इन पट्टियों का कोई दूसरा महत्त्व
डेविडः – हाँ, क्यों नहीं ? ध्वज के ऊपर वाली केसर पट्टी आग की लपटों की तरह कर्जा और उलाहको सूचक है। बीच वाली सफेद पट्टी सात्त्विकता और निर्मलता की बोतक है। नीचे वाली हरी पट्टी समृद्धि और प्रगति की सूचक है।
तेजिन्द – शुचे! ध्वजस्य मध्ये स्थिरस्य बकस्य किमपि महत्त्वम् अस्ति ?
शुचिः – अथ किम्, इदम् अशोकचकं सत्यस्य, धर्मस्य अहिंसायाश्च द्योतकम्।।
प्रणवः – किन जानासि ? स्वान्तायाः आन्दोलने अस्य ध्वजस्य महती भूमिका आसीत्।।
अभिप्रायः = प्रयोजन, मतलब।
शृणु = सुनो।
शौर्यस्य = वीरता का/के/की।
अनेकत्वे एकत्वस्य = अनेकता में एकत का।
द्योतकः = सूचक, प्रतीक।
सरलार्थः- हमारे झंडे में ये तीन रंग ही क्यों लिए गए है।
सलीम – इन तीनों रंगों का यहाँ विशेष प्रयोजन है।
देवेश – कौन-सा विशेष (प्रयोजन)?
सलीम – सुनो, केसरी रंग शक्ति का, सफेद रंग शान्ति का तथा हरा रंग समृद्धि का सूचक है। स्वयं में यह ध्वज अनेकता में एकता का प्रतीक है। किम् एतासां पट्टिकानाम् अन्यदपि
महत्त्वम् ?
डेविडः – आम् ! कथं न ? ध्वजस्य उपरि स्थिता के शरपद् टिका अग्निशिखा इव ऊर्जस्वितायाः उत्साहस्य च सूचिका। मध्ये स्थिता श्वेतपट् टिका सात्विकतायाः निर्मलतायाः च द्योतिका। अधः स्थिता हरितपट्टिका समृद्धेः प्रगतेश्च सड़केतिका।
शब्दार्था:-
अग्निशिखाः इव = आग की लपटों की तरह।
उपरिस्थिता = ऊपर स्थित, ऊपर वाली।
ऊर्जस्वितायाः = ऊर्जा की।
मध्ये स्थिता = बीच में स्थित, बीच वाली।
अधः स्थिता = नीचे स्थित, नीचे वाली।
धोतिका = सूचक।
सङ्केतिका = सूचक।
सरलार्थ:
शुचि – क्या इन पट्टियों का कोई दूसरा महत्त्व भी है ?
डेविडः – हाँ, क्यों नहीं ? ध्वज के ऊपर वाली केसर पट्टी आग की लपटों की तरह ऊर्जा और उत्साह की सूचक है। बीच वाली सफेद पट्टी सात्त्विकता और निर्मलता की द्योतक है। नीचे वाली हरी पट्टी समृद्धि और प्रगति की सूचक है।
तेजिन्दर:- शुचे ! ध्वजस्य मध्ये स्थितस्य चक्रस्य किमपि महत्त्वम् अस्ति ?
शुचिः – अथ किम्, इदम् अशोकचक्रं सत्यस्य, धर्मस्य अहिंसायाश्च द्योतकम्।
प्रणवः – किं न जानासि ? स्वतन्त्रतायाः आन्दोलने अस्य ध्वजस्य महती भूमिका आसीत्।
शुचिः – का सा ध्वजस्य भूमिका ?
देवेशः – एनं ध्वजम् आश्रित्य एव स्वतन्त्रतायाः आन्दोलनम् अभवत्।
शब्दार्थाः-
महती भूमिका = महत्त्वपूर्ण भूमिका।
आसीत् = थी।
आश्रित्य = आश्रय/सहारा लेकर।
अभवत् = हुआ था।
सरलार्थ: –
तेजिन्दर – शुचि, ध्वज के मध्य में स्थित चक्र का भी कोई महत्त्व है ?
शुचि – और क्या, यह अशोक चक्र सत्य, धर्म और अहिंसा का द्योतक है।
प्रणव – क्या तुम नहीं जानती हो ? स्वतन्त्रता के आन्दोलन में इस ध्वज की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
शूचि – ध्वज की वह कौन-सी भूमिका थी ?
देवेश – इसी ध्वज का आश्रय लेकर ही स्वतन्त्रता का आन्दोलन हुआ था।
डेविड – देशस्य स्वतन्त्रतायै लक्ष्मीबाई,महात्मागान्धी, पं० जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्रबोसः, आजादः चन्द्रशेखरः, भगतसिंहः, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली इत्यादयः आजीवनं संघर्षम् अकुर्वन्। लक्षाधिकाः च जनाः स्वान् प्राणान् अपि अत्यजन्।
शब्दार्था:-
आजीवनम् = जीवन भर।
लक्षाधिकाः = लाखों से अधिक।
अकुर्वन् = किए।
अत्यजन् = त्याग दिए। सरलार्थ
डेविडः- देश की स्वतन्त्रता के लिए लक्ष्मीबाई, महात्मा गाँधी, पं० जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफअली इत्यादि ने आजीवन संघर्ष किया था। लाखों से अधिक लोगों ने अपने | प्राण भी त्याग दिए थे।
तेजिन्दरः- अस्माकं त्रिवर्णः ध्वजः स्वाभिमानस्य
प्रतीकः । सर्वैः अपि भारतीयैः अस्य
सम्मानः करणीयः अतः अस्माकं
सकल्प: स्यात् यत् अस्य राष्ट्रध्वजस्य
सम्मानरक्षार्थं वयं सर्वे स्व-स्वकर्तव्ये
तत्पराः भवेम।
जयतु त्रिवर्णः ध्वजः, जयतु भारतम्।
शब्दार्था:-
त्रिवर्णः ध्वजः = तीन रंग का झण्डा, तिरंगा झण्डा।
सम्मानरक्षार्थ = सम्मान की रक्षा के लिए।
भवेम = (हम) हो जाएँ।
जयतु = जय हो। सरलार्थ:तेजिन्दर-हमारा तिरंगा झण्डा स्वाभिमान का प्रतीक है।
सभी भारतीयों को इसका सम्मान करना चाहिए। इसीलिए हमारा संकल्प हो कि इस राष्ट्रध्वज के सम्मान की रक्षा के लिए तत्पर हो जाएँ। तिरंगे झण्डे की जय हो, भारत की जय हो।
Comments
Post a Comment